Stories Of Premchand

  • Autor: Vários
  • Narrador: Vários
  • Editor: Podcast
  • Duración: 591:59:34
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Sinopsis

Stories of Premchand narrated by various artists

Episodios

  • अंतोन चेख़फ़ की लिखी कहानी वान्का, "Vanka" Story written by Anton Chekhov

    21/09/2019 Duración: 13min

    लेखक - अंतोन चेख़व Writer - Anton Chekhov अनुवाद - अनिल जनविजय Translation - Anil Janvijay वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • अंतोन चेख़फ़ की लिखी कहानी भिखारी, "Bhikhaari" Story written by Anton Chekhov

    14/09/2019 Duración: 14min

    लेखक - अंतोन चेख़व Writer - Anton Chekhov अनुवाद - अनिल जनविजय Translation - Anil Janvijay वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • अंतोन चेख़फ़ की लिखी कहानी ग्रीषा, "Greesha" Story written by Anton Chekhov

    07/09/2019 Duración: 10min

    लेखक - अंतोन चेख़व Writer - Anton Chekhov अनुवाद - अनिल जनविजय Translation - Anil Janvijay वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • ख़लील जिब्रान की लिखी कहानी "राजा" "Raja" Story written by Khalil Gibran

    02/09/2019 Duración: 06min

    स्वर - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • ओ॰ हेनरी की लिखी कहानी छत पर का कमरा, Chhat Par Ka Kamra - Story Written by O. Henry

    19/08/2019 Duración: 21min

    लेखक - ओ॰ हेनरी Writer - O Henry वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • ख़लील जिब्रान की लिखी कहानी "घुमक्कड़" "Ghumakkad" Story written by Khalil Gibran

    17/08/2019 Duración: 01min

    स्वर - दर्शना गोस्वामी Narration - Darshna Goswami

  • लियो टॉलस्टाय की लिखी कहानी "अल्योशा एक डब्बा", "Alyosha the Pot" Story written by Leo Tolstoy

    16/08/2019 Duración: 14min

    लेखक - लियो टॉल्स्टॉय Writer - Leo Tolstoy स्वर - शैलेन्द्र सिंह, Narration - Shailendra Singh

  • ओ॰ हेनरी की लिखी कहानी उपहार, Uphaar - Story Written by O. Henry

    12/08/2019 Duración: 19min

    लेखक - ओ॰ हेनरी Writer - O Henry वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • ओ॰ हेनरी की लिखी कहानी बीस साल बाद, After Twenty Years - Story Written by O. Henry

    31/07/2019 Duración: 10min

    लेखक - ओ॰ हेनरी Writer - O Henry वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • अंतोन चेख़व की लिखी कहानी कमज़ोर, Kamzor Story written by Anton Chekhov

    26/07/2019 Duración: 06min

    कहानी - कमज़ोर Story - Kamzor लेखक - अंतोन चेख़व Writer - Anton Chekhov अनुवाद - अनिल जनविजय Translation - Anil Janvijay वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • अंतोन चेख़व की लिखी कहानी एक छोटा सा मज़ाक़, Ek Chhota Sa Mazaaq Story written by Anton Chekhov

    23/07/2019 Duración: 15min

    कहानी - एक छोटा सा मज़ाक़ Story - Ek Chhota Sa Mazaaq लेखक - अंतोन चेख़व Writer - Anton Chekhov अनुवाद - अनिल जनविजय Translation - Anil Janvijay वाचन - समीर गोस्वामी Narration - Sameer Goswami

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी विद्या से दुख, Vidya Se Dukh - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    23/05/2019 Duración: 01min

    एक बहू पशु-पक्षियों की भाषा जानती थी। आधी रात को श्रृगाल को यह कहता सुनकर कि नदी का मुर्दा मुझे दे दे और उसके गहने ले ले, नदी पर वैसा करने गई। लौटती बार श्वसुर ने देख लिया। जाना कि यह अ-सती है। वह उसे पीहर पँहुचाने ले चला। मार्ग में करीर के पेड़ के पास से कौआ कहने लगा कि इस पेड़ के नीचे दस लाख की निधि है, निकाल ले और मुझे दही-सत्तू खिला। अपनी विद्या से दुख पाई वह कहती है-- मैंने जो एक दुर्नय (अविनय, कुनीति) किया, उससे घर से निकाली जा रही हूँ। अब यदि दूसरा करूंगी तो कभी भी अपने प्रिय से नहीं मिल सकूंगी अर्थात मार दी जाऊंगी।

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी जन्मांतर कथा, Janmantar Katha - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    21/05/2019 Duración: 01min

    एक कहिल नामक कबाड़ी था, जो काठ की कावड़ कंधे पर लिए-लिए फिरता था। उसकी सिंहला नामक स्त्री थी। उसने पति से कहा कि देवाधिदेव-युगादिदेव की पूजा करो, जिनसे जन्मांतर में दारिद्रय-दुख न पावें। पति ने कहा-- तू धर्म-गहली (पगली) हुई है, पर सेवक मैं क्या कर सकता हूँ? तब स्त्री ने नदी-जल और फूल से पूजा की। उसी दिन वह विषूचिका (हैजा) से मर गई और जन्मांतर में राजकन्या और राजपत्नी हुई। अपने नए पति के साथ उसी दिन मंदिर में आई तो उसी पूर्व पति दरिद्र कबाड़िए को वहाँ देखकर मूर्च्छित हो गई। उसी समय जातिस्मर (जिसे अपने पूर्व जन्म का हाल याद हो)होकर उसने एक दोहे में कहा-- जंगल की पत्ती और नदी का जल सुलभ था तो भी तू नहीं लाया। हाय! तेरे तन पर कपड़ा भी नहीं है और मैं रानी हो गई। कबाड़ी ने स्वीकार करके जन्मांतर कथा की पुष्टि की।

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी न्याय घंटा, Nyay Ghanta - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    17/05/2019 Duración: 01min

    दिल्ली में अनंगपाल नामी एक बड़ा राय था। उसके महल के द्वार पर पत्थर के दो सिंह थे। इन सिंहों के पास उसने एक घंटी लगवाई कि जो न्याय चाहें उसे बजा दें, जिस पर राय उसे बुलाता, पुकार सुनता और न्याय करता। एक दिन एक कौआ आकर घंटी पर बैठा और घंटी बजाने लगा। राय ने पूछा-- इसकी क्या पुकार है? यह बात अनजानी नहीं है कि कौए सिंह के दाँतों में से माँस निकाल लिया करते हैं। पत्थर के सिंह शिकार नहीं करते तो कौए को अपनी नित्य जीविका कहाँ से मिले? राय को निश्चय हुआ किकौए की भूख की पुकार सच्ची है क्योंकि वह पत्थर के सिंहों के पास आन बैठा था। राय ने आज्ञा दी कि कई भेड़े-बकरे मारे जाएँ, जिससे कौए को दिन का भोजन मिल जाए।

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी पाठशाला, Paathshaalaa - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    15/05/2019 Duración: 02min

    पाठशाला का वार्षिकोत्सव था। मैं भी वहाँ बुलाया गया था। वहाँ के प्रधान अध्यापक का एकमात्र पुत्र, जिसकी अवस्था आठ वर्ष की थी, बड़े लाड़ से नुमाइश में मिस्टर हादी के कोल्हू की तरह दिखाया जा रहा था। उसका मुँह पीला था, आँखें सफ़ेद थीं, दृष्टि भूमि से उठती नहीं थी। प्रश्न पूछे जा रहे थे। उनका वह उत्तर दे रहा था। धर्म के दस लक्षण सुना गया, नौ रसों के उदाहरण दे गया। पानी के चार डिग्री के नीचे शीतलता में फैल जाने के कारण और उससे मछलियों की प्राण–रक्षा को समझा गया, चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक समाधान दे गया, अभाव को पदार्थ मानने, न मानने का शास्त्रार्थ कर गया और इंग्लैंड के राजा आठवें हेनरी की स्त्रियों के नाम और पेशवाओं का कुर्सीनामा सुना गया। यह पूछा गया कि तू क्या करेगा? बालक ने सिखा–सिखाया उत्तर दिया कि मैं यावज्जन्म लोकसेवा करूँगा। सभा ‘वाह वाह’ करती सुन रही थी, पिता का हृदय उल्लास से भर रहा था। एक वृद्ध महाशय ने उसके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया और कहा कि जो तू ईनाम मांगे, वही दें। बालक कुछ सोचने लगा। पिता और अध्यापक इस चिंता में लगे कि देखें, यह पढ़ाई का पुतला कौन–सी पुस्तक मांगता है। बालक के मुख पर विलक्षण रंगो

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी हीरे का हार, Heere Ka Haar - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    13/05/2019 Duración: 18min

    आज सवेरे ही से गुलाबदेई काम में लगी हुई है। उसने अपने मिट्टी के घर के आँगन को गोबर से लीपा है, उस पर पीसे हुए चावल से मंडन माँडे हैं। घर की देहली पर उसी चावल के आटे से लीकें खैंची हैं और उन पर अक्षत और बिल्‍वपत्र रक्‍खे हैं। दूब की नौ डालियाँ चुन कर उनने लाल डोरा बाँध कर उसकी कुलदेवी बनाई है और हर एक पत्ते के दूने में चावल भर कर उसे अंदर के घर में, भींत के सहारे एक लकड़ी के देहरे में रक्‍खा है। कल पड़ोसी से माँग कर गुलाबी रंग लाई थी उससे रंगी हुई चादर बिचारी को आज नसीब हुई है। लठिया टेकती हुई बुढ़ि‍या माता की आँखें यदि तीन वर्ष की कंगाली और पुत्र वियोग से और डेढ़ वर्ष की बीमारी की दुखिया के कुछ आँखें और उनमें ज्‍योति बाकी रही हो तो - दरवाजे पर लगी हुई हैं। तीन वर्ष के पतिवियोग और दारिद्र्य की प्रबल छाया से रात-दिन के रोने से पथराई और सफेद हुई गुलाबदेई की आँखों पर आज फिर यौवन की ज्‍योति और हर्ष के लाल डोरे आ गए हैं। और सात वर्ष का बालक हीरा, जिसका एकमात्र वस्‍त्र कुरता खार से धो कर कल ही उजाला कर दिया गया है, कल ही से पड़ोसियों से कहता फिर रहा है कि मेरा चाचा आवेगा। बाहर खेतों के पास लकड़ी की धमाधम सुनाई पड़न

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी बुद्धु का कांटा, Buddhu Ka Kanta - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    11/05/2019 Duración: 55min

    रघुनाथ प् प् प्रसाद त् त् त्रिवेदी - या रुग्‍नात् पर्शाद तिर्वेदी - यह क्‍या? क्‍या करें, दुविधा में जान हैं। एक ओर तो हिंदी का यह गौरवपूर्ण दावा है कि इसमें जैसा बोला जाता है वैसा लिखा जाता है और जैसा लिखा जाता है वैसा ही बोला जाता है। दूसरी ओर हिंदी के कर्णधारों का अविगत शिष्‍टाचार है कि जैसे धर्मोपदेशक कहते हैं कि हमारे कहने पर चलो, वैसे ही जैसे हिंदी के आचार्य लिखें वैसे लिखो, जैसे वे बोलें वैसे मत लिखो, शिष्‍टाचार भी कैसा? हिंदी साहित्‍य-सम्‍मेलन के सभापति अपने व्‍याकरणकषायति कंठ से कहें 'पर्षोत्तमदास' और 'हर्किसन्लाल' और उनके पिट्ठू छापें ऐसी तरह कि पढ़ा जाए - 'पुरुषोत्तमदास अ दास अ' और 'हरि कृष्‍णलाल अ'! अजी जाने भी दो, बड़े-बड़े बह गए और गधा कहे कितना पानी! कहानी कहने चले हो, या दिल के फफोले फोड़ने? अच्‍छा, जो हुकुम। हम लाला जी के नौकर हैं, बैंगनों के थोड़े ही हैं। रघुनाथप्रसाद त्रिवेदी अब के इंटरमीडिएट परीक्षा में बैठा है। उसके पिता दारसूरी के पहाड़ के रहनेवाले और आगरे के बुझातिया बैंक के मैनेजर हैं। बैंक के दफ्तर के पीछे चौक मे उनका तथा उनकी स्‍त्री का बारहमासिया मकान है। बाबू बड़े सीधे, अपने सिद्ध

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी सुखमय जीवन, Sukhmay Jeevn - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    09/05/2019 Duración: 18min

    परीक्षा देने के पीछे और उसके फल निकलने के पहले दिन किस बुरी तरह बीतते हैं, यह उन्हीं को मालूम है जिन्हें उन्हें गिनने का अनुभव हुआ है। सुबह उठते ही परीक्षा से आज तक कितने दिन गए, यह गिनते हैं और फिर 'कहावती आठ हफ्ते' में कितने दिन घटते हैं, यह गिनते हैं। कभी-कभी उन आठ हफ्तों पर कितने दिन चढ़ गए, यह भी गिनना पड़ता है। खाने बैठे है और डाकिए के पैर की आहट आई - कलेजा मुँह को आया। मुहल्ले में तार का चपरासी आया कि हाथ-पाँव काँपने लगे। न जागते चैन, न सोते-सुपने में भी यह दिखता है कि परीक्षक साहब एक आठ हफ्ते की लंबी छुरी ले कर छाती पर बैठे हुए हैं। मेरा भी बुरा हाल था। एल-एल.बी. का फल अबकी और भी देर से निकलने को था - न मालूम क्या हो गया था, या तो कोई परीक्षक मर गया था, या उसको प्लेग हो गया था। उसके पर्चे किसी दूसरे के पास भेजे जाने को थे। बार-बार यही सोचता था कि प्रश्नपत्रों की जाँच किए पीछे सारे परीक्षकों और रजिस्ट्रारों को भले ही प्लेग हो जाय, अभी तो दो हफ्ते माफ करें। नहीं तो परीक्षा के पहले ही उन सबको प्लेग क्यों न हो गया? रात-भर नींद नहीं आई थी, सिर घूम रहा था, अखबार पढ़ने बैठा कि देखता क्या हूँ लिनोटाइप की मशी

  • चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी कहानी धर्मपारायण रीछ, Dharmparayan Reechh - Story Written By Chandradhar Sharma Guleri

    07/05/2019 Duración: 15min

    सायंकाल हुआ ही चाहता है। जिस प्रकार पक्षी अपना आराम का समय आया देख अपने-अपने खेतों का सहारा ले रहे हैं उसी प्रकार हिंस्र श्‍वापद भी अपनी अव्याहत गति समझ कर कंदराओं से निकलने लगे हैं। भगवान सूर्य प्रकृति को अपना मुख फिर एक बार दिखा कर निद्रा के लिए करवट लेने वाले ही थे, कि सारी अरण्यानी 'मारा' है, बचाओ, मारा है' की कातर ध्वनि से पूर्ण हो गई। मालूम हुआ कि एक व्याध हाँफता हुआ सरपट दौड़ रहा, और प्रायः दो सौ गज की दूरी पर एक भीषण सिंह लाल आँखें, सीधी पूँछ और खड़ी जटा दिखाता हुआ तीर की तरह पीछे आ रहा है। व्याध की ढीली धोती प्रायः गिर गई है, धनुष-बाण बड़ी सफाई के साथ हाथ से च्युत हो गए हैं, नंगे सिर बिचारा शीघ्रता ही को परमेश्‍वर समझता हुआ दौड़ रहा है। उसी का यह कातर स्वर था। यह अरण्य भगवती जह्नुतनया और पूजनीया कलिंदनंदनी के पवित्र संगम के समीप विद्यमान है। अभी तक यहाँ उन स्वार्थी मनुष्य रुपी निशाचरों का प्रवेश नहीं हुआ था जो अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए आवश्यक से चौगुना-पँचगुना पा कर भी झगड़ा करते हैं, परंतु वे पशु यहाँ निवास करते थे जो शांतिपूर्वक समस्त अरण्य को बाँट कर अपना-अपना भाग्य आजमाते हुए न केवल धर्मध्वज

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