Stories Of Premchand
13: प्रेमचंद की कहानी "फ़ातिहा" Premchand Story "Fatiha"
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editor: Podcast
- Duración: 0:44:35
- Mas informaciones
Informações:
Sinopsis
इसी समय एक अफ्रीदी रमणी धीरे-धीरे आ कर सरदार साहब के मकान के सामने खड़ी हो गयी। ज्यों ही सरदार साहब ने देखा, उनका मुँह सफेद पड़ गया। उनकी भयभीत दृष्टि उसकी ओर से फिर कर मेरी ओर हो गयी। मैं भी आश्चर्य से उनके मुँह की ओर निहारने लगा। उस रमणी का- सा सुगठित शरीर मरदों का भी कम होता है। खाकी रंग के मोटे कपड़े का पायजामा और नीले रंग का मोटा कुरता पहने हुए थी। बलूची औरतों की तरह सिर पर रूमाल बाँध रखा था। रंग चंपई था और यौवन की आभा फूट-फूट कर बाहर निकली पड़ती थी। इस समय उसकी आँखों में ऐसी भीषणता थी, जो किसी के दिल में भय का संचार करती। रमणी की आँखें सरदार साहब की ओर से फिर कर मेरी ओर आयीं और उसने यों घूरना शुरू किया कि मैं भी भयभीत हो गया। रमणी ने सरदार साहब की ओर देखा और फिर ज़मीन पर थूक दिया और फिर मेरी ओर देखती हुई धीरे-धीरे दूसरी ओर चली गयी। रमणी को जाते देख कर सरदार साहब की जान में जान आयी। मेरे सिर पर से भी एक बोझ हट गया। मैंने सरदार साहब से पूछा-क्यों, क्या आप जानते हैं ? सरदार साहब ने एक गहरी ठंडी साँस लेकर कहा-हाँ, बखूबी। एक समय था, जब यह मुझ पर जान देती थी और वास्तव में अपनी जान पर खेल कर मेरी रक्षा भी की