Stories Of Premchand
जयशंकर प्रसाद की लिखी कहानी कला, Kala - Story Written By Jaishankar Prasad
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editor: Podcast
- Duración: 0:08:51
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Informações:
Sinopsis
उसके पिता ने बड़े दुलार से उसका नाम रक्खा था-‘कला’। नवीन इन्दुकला-सी वह आलोकमयी और आँखों की प्यास बुझानेवाली थी। विद्यालय में सबकी दृष्टि उस सरल-बालिका की ओर घूम जाती थी; परन्तु रूपनाथ और रसदेव उसके विशेष भक्त थे। कला भी कभी-कभी उन्हीं दोनों से बोलती थी, अन्यथा वह एक सुन्दर नीरवता ही बनी रहती। तीनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे, फिर भी उनमें डाह थी। वे एक-दूसरे को अधिकाधिक अपनी ओर आकर्षित देखना चाहते थे। छात्रावास में और बालकों से उनका सौहार्द नहीं। दूसरे बालक और बालिकायें आपस में इन तीनों की चर्चा करतीं। कोई कहता-‘‘कला तो इधर आँख उठाकर देखती भी नहीं।’’ दूसरा कहता-‘‘रूपनाथ सुन्दर तो है, किन्तु बड़ा कठोर।’’ तीसरा कहता-‘‘रसदेव पागल है। उसके भीतर न जाने कितनी हलचल है। उसकी आँखों में निश्छल अनुराग है; पर कला को जैसे सबसे अधिक प्यार करता है।’’ उन तीनों को इधर ध्यान देने का अवकाश नहीं। वे छात्रावास की फुलवारी में, अपनी धुन में मस्त विचरते थे। सामने गुलाब के फूल पर एक नीली तितली बैठी थी। कला उधर देखकर गुनगुना रही थी। उसकी सजन स्वर-लहरी अवगुण्ठित हो रही थी। पतले-पतले अधरों से बना हुआ छोटे-से मुँह का अवगुण्ठन उसे ढँ