Puliyabaazi
सिर्फ राजनेताओं ने नहीं, भारतीय जनमानस ने हमारा संविधान पिरोया है। How Public Movements Shaped Indian Constitutionalism? ft. Rohit De and Ornit Shani
- Autor: Vários
- Narrador: Vários
- Editor: Podcast
- Duración: 1:20:11
- Mas informaciones
Informações:
Sinopsis
26 नवम्बर 1949 को भारत ने अपना संविधान अपनाया था। इस अहम् घड़ी को याद करने और उस समय हो रहे बदलाव को समझने का ये अच्छा मौका है। इसमें आम धारणा ये है कि संविधान को कुछ गिने-चुने अभिजात वर्ग के लोगों ने बनाया और भारत की आम जनता पर थोप दिया। लेकिन इस धारणा में कितनी सच्चाई है?इतिहासकार रोहित डे और ऑर्नित शनी अपने शोध के आधार पर इस बात का खंडन करते हैं। अपनी किताब Assembling India’s Constitution में वो बताते हैं कि कैसे अलग अलग लोग संविधान बनाने की प्रक्रिया में जुड़ रहे थे और अपनी बात संविधान सभा तक पहुँचा रहे थे। जनमानस में उत्साह इतना था कि ड्राफ्ट संविधान उस समय की बेस्टसेलर किताब बन चुकी थी। तो आईये इस पुलियाबाज़ी पर सुनते हैं संविधान की अनकही दास्ताँ। ये एपिसोड खास इसलिए भी है क्योंकि ये हमारा पहला द्विभाषी एपिसोड है। सुनियेगा ज़रूर।We discuss:* Why do people think that India’s Constitution was an elitist project?* How were the lay people engaged in this process of constitution-making?* Princely states and their engagement with the Constituent Assembly* Popularity of Draft Constitution* Why were the princely s