Stories Of Vikram Betaal

बेताल पच्चीसी : सातवीं कहानी-किसका पुण्य बड़ा, Kiska Punya bada

Informações:

Sinopsis

सातवीं कहानी-किसका पुण्य बड़ा मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसमें गुणधिप नाम का राजा राज करता था। वह बड़ा ही प्रतापी और यशस्वी था उसे शिकार खेलने का बड़ा शौक था। एक दिन राजा शिकार खेलने चला। सैनिक भी साथ हो लिये। चलते-चलते राजा एक घने वन में पहुँचा। कुछ ही देर बाद राजा को एक मृग दिखाई दिया। वह उसके पीछे चल पड़ा। हिरण का पीछा करते-करते राजा के सैनिक उससे बिछड़ गये। राजा जंगल के बीचोंबीच पहुंच गया लेकिन हिरण पकड़ में नही आया। राजा ने पीछे मुड़ कर देखा दूर-दूर तक कोई नहीं था। उसके नौकर-चाकर, सैनिक, मंत्री सब बिछुड़ गये थे। “देखो, विक्रम भाग्य का खेल देखों।” राजा उस डरावनी जंगल में भी निडर था लेकिन उसे एक बात बड़ी बेचैन कर रही थीं वह थी भूख। भूख-प्यास के कारण राजा का बुरा हाल था तभी एक लकड़हारे ने राजा को टोका। राजा ने जब उस सुनसान जंगल में मनुष्य की आवाज सुनी तो बहुत प्रसन्न हुआ। राजा के पूछने पर लकड़हारे ने बताया, वह इस वन में लकड़ी काटने आता है। उसने राजा को भूखा देख अपना भोजन राजा को दिया। राजा अपनी त्रास मिटाने लगा और दोनों में बातचीत शुरू हुई। राजन्, सज्जनता हर मनुष्य को एक-दूसरे की मदद करने के

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